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लक्ष्मी मेनन ने कबाड़ को बनाया रोजगार का जरिया

Published - Sat 03, Apr 2021

केरल के एर्णाकुलम की लक्ष्मी मेनन को पर्यावरण से बेहद प्यार है और इसे बचाने के लिए उन्होंने पीपीई किट्स बनने में इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल से बची कतरन से गद्दे बना डाले और अन्य महिलाओं को रोजगार भी दिया।

Lakshmi Menon

नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रही है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। हवा में जहर घुल रहा है। पूरे देश में अगर पर्यावरण हित की सोचने वाले लोगों की बात करें, तो उनकी संख्या बेहद ही कम है। कुछ ही लोग हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के बारे में सोचते हैं। इन्हीं सचेत लोगों में से एक हैं केरल के एर्णाकुलम की लक्ष्मी मेनन। लक्ष्मी की कोशिश यही है कि पर्यावरण को कम नुकसान हो। लक्ष्मी देश की जानी-मानी इनोवेटर हैं। उन्होंने पहले वेस्ट पेपर से कलम बनाई। दर्जी के पास बेकार पड़े कपड़ों से गद्दे बनवाए और जरूरतमंदों को पहुंचवाए। इस बार लक्ष्मी ने कोविड बीमारी से बचने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा इस्तेमाल की हुई पीपीई किट, मास्क आदि को बनाने में इस्तेमाल होने वाले बचे रद्दी मैटेरियल से गद्दे बना डाले। उन्होंने ये इसलिए किया कि वो इस कबाड़ से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाना चाहती हैं। लक्ष्मी ने पाया कि केरल में नौ सौ से ज्यादा ग्राम पंचायते हैं और हर ग्राम पंचायत में एक कोविड सेंटर था, जहां पचास बिस्तर लगे हुए थे। मरीज स्वस्थ होने के बाद गद्दा बदलना पड़ता था और उनकी कीमत भी करीब पांच सौ से सात सौ की थी। केरल में एक बड़े दर्जी को बीस हजार पीपीई किट बनाने का ऑर्डर मिला। इसके अलावा कई प्रोडक्शन हाउस भी इस काम में लगे हुए थे और दिनरात काम हो रहा था। लक्ष्मी ने इनके यहां से कपड़े की बची हुई कतरन एकत्र थीं। क्योंकि इस बेकार कपड़े से पर्यावरण को नुकसान होता। उनके रिसर्च के मुताबिक, एक छोटे प्रोडक्शन हाउस में बनने वाली पीपीई किट के मैटेरियल से बचा रद्दी कपड़ा करीब छह टन निकल रहा था। उन्होंने अपना हिसाब लगाया तो इससे 2400 गद्दे बन रहे थे। कोरोना के कारण काम बंद था, तो मजदूर महिलाओं के सामने रोजगार का संकट था, तो लक्ष्मी ने कोच्चि के पास गद्दे बनाने का वर्कशॉप शुरू किया और महिलाओं को काम दिया। उनके काम की चर्चा हुई तो खरीददार भी पहुंचने लगे।

मुफ्त में भी बांटे अपने बनाए गद्दे
लक्ष्मी ने जो गद्दे बनाए उसकी कीमत तीन सौ रुपये रखी। कई खरीददार भी मिले। वहीं उन्होंने कोविड सेंटर को भी फ्री गद्दे दिए। अब तक लक्ष्मी की टीम एक हजार से ज्यादा गद्दे बना चुकी है। उनके इस सराहनीय काम को देखते हुए सरकार ने उन्हें वुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया है।