पायल जब 15 साल की थीं, तो उनके परिवार ने भी उन पर भी शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन पायल ने इससे साफ इंकार कर दिया। पायल ने शादी करने की बजाए स्कूल जाने को प्राथमिकता दी। हालांकि उनके इस फैसले से परिवार वाले खुश नहीं हुए, लेकिन पायल अपने फैसले पर अड़ी रही। इस बीच पायल जांगिड़ ने बाल श्रम और बाल विवाह की कुरीति के खिलाफ लड़ने का मन बना लिया। उन्होंने अपने गांव में बाल मित्र ग्राम कार्यक्रम के तहत गठित बाल परिषद् में बाल पंचायत प्रमुख के तौर पर काम करना शुरू किया।
नई दिल्ली। कौन सी बात कब, कहां, कैसे कही जाती है, ये सलीका पता हो तो हर बात सुनी जाती है। एक ऐसी ही बात को महज 15 साल की उम्र में राजस्थान के हिंसला गांव निवासी पायल जांगिड़ ने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज के सामने बड़े सलीके से कही। लेकिन आसानी से उसकी बात मानी नहीं गई, फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और लगातार संघर्ष करती रही। आखिरकार सभी को अहसास हुआ कि पायल जो बात कह रही है वह सही है। आज सिर्फ 17 साल की उम्र में राजस्थान की यह बेटी पूरी दुनिया के लिए नाजीर बन गई है। उसके हौसले को 25 सितंबर को दुनिया के सबसे धनाड्य लोगों में शुमार बिल गेट्स ने सलाम करते हुए बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से ग्लोबल गोलकीपर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया। खास बात यह रही कि इसी मंच पर इसी दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी स्वच्छता मिशन के उनके प्रयासों के लिए 'चेंजमेकर अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया। पायल चेंजमेकर अवॉर्ड से सम्मानित होने वाली भारत की पहली बेटी हैं।
बाल श्रम और बाल विवाह के खिलाफ छेड़ी जंग
पायल जांगिड़ जब छोटी थी तो उन्हें आपने घर के आस-पास बहुत से बच्चे काम करते हुए दिखते थे। ये वे बच्चे थे, जो कभी उनके साथ स्कूल जाया करते थे, लेकिन मजबूरी के चलते उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। इससे वह काफी परेशान रहती थी। इसी बीच उसके साथ पढ़ने वाली कई बच्चियों की शादी भी उनके घर वालों ने कर दी। इन घटनाओं ने पायल को अंदर तक झकझोर दिया था। इसी बीच जब वह 15 साल की हुई, तो उनके परिवार ने भी उन पर भी शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन पायल ने इससे साफ इंकार कर दिया। पायल ने शादी करने की बजाए स्कूल जाने को प्राथमिकता दी। हालांकि उनके इस फैसले से परिवार वाले खुश नहीं हुए, लेकिन पायल अपने फैसले पर अड़ी रही। इस बीच पायल जांगिड़ ने बाल श्रम और बाल विवाह की कुरीति के खिलाफ लड़ने का मन बना लिया। उन्होंने अपने गांव में बाल मित्र ग्राम कार्यक्रम के तहत गठित बाल परिषद् में बाल पंचायत प्रमुख के तौर पर काम करना शुरू किया। यह कार्यक्रम नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन के तहत आता है। परिषद् से जुड़ने के बाद पायल ने राजस्थान में बाल श्रम और बाल विवाह को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया। पायल के प्रयासों का असर है कि उनके गांव समेत आस-पास के कई गांवों से बाल श्रम और बाल विवाह की कुप्रथा लगभग खत्म हो चुकी है।
घर-घर जाकर माता-पिता को समझाया
अपने अभियान के बारे में पायल ने बताया कि कि हम बच्चों के घर जाते हैं और उनके माता-पिता को शिक्षा का महत्व और स्कूल जाना क्यों जरूरी है इस बारे में समझाते थे। मैं बच्चों के पिता से कहती हूं कि वे कभी भी अपने बच्चों या पत्नी को मारे-पीटें नहीं, बल्कि उन्हें प्यार दें, यदि वे अपने परिवार से प्यार करेंगे तो सारी चीजें बेहतर हो जाएंगी। पायल कहती हैं कि जिस तरह से मैंने अपने गांव से इन समस्याओं को खत्म किया है, वैसे ही मैं इसे वैश्विक स्तर पर भी अभियान चलाकर खत्म करना चाहती हूं।
पीएम मोदी और कैलाश सत्यार्थी ने दी बधाई
पायल जांगिड़ को ग्लोबल गोलकीपर्स अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने पर पीएम मोदी ने बधाई दी। साथ उनके प्रयासों की सराहना करते हुए इसे आगे भी जारी रखने को कहा। पीएम ने पायल को प्रेरणास्रोत बताया है। इसी तरह नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने अपने एक लेख में पायल जांगिड़ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा था कि 'पायल बाल श्रम, बाल विवाह और घूंघट प्रथा का विरोध करने में सबसे आगे रहीं हैं।' बता दें कि पायल ने बच्चों के अधिकार और उनकी शिक्षा के लिए काम करने वाली संस्था 'द वल्डर्स चिल्ड्रन प्राइज' के लिए जूरी सदस्य के रूप में भी काम किया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.