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सुधा ने कहा कोरोना से लड़िए और दे दिए 100 करोड़

Published - Thu 03, Sep 2020

इनफोसिस फाउंडेशन की सुधा मूर्ति ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए सरकार को सौ करोड़ रुपये दान दिए और दिखा दिया कि एक नारी ही सच्चे तरीके से मुसीबत के समय काम आती है।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के सामने लगभग हर देश की सरकार ने हथियार डाल दिए हैं। रोजाना नई वैक्सीन ईजाद करने का एलान हो रहा है। वैज्ञानिक शोध सामने आ रहे हैं, लेकिन हकीकत ये ही है कि कोरोना वायरस अभी पकड़ से बाहर ही है। दुनियाभर में लॉकडाउन लगाया गया, उसका कोई लाभ नजर नहीं आया। खानपान और जीवनशैली में सुधार की बात कही गई, वो भी कुछ खास कमाल नहीं कर सकीं, ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई, तो सरकार ने कॉरपोरेट जगत और लोगों से अपील की कि कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही इस लड़ाई में आगे आएं। तमाम एक्टर, स्पोर्टसमैन, बिजनेसमैन सरकार की अपील करने के बाद आगे आए और सरकार को दान दिया, लेकिन एक महिला ने इतना बड़ा दान दिया कि उसकी दान की गई कीमत जानकार हर कोई हैरान है। ये महिला सुधा मूर्ति इनफोसिस फाउंडेशन से जुड़ीं हैं और पहले भी समाज और देशसेवा करती रही हैं।जब कोरोना के बीच लॉकडाउन लगा और सरकार ने मदद मांगी, तो इनफोसिस फाउंडेशन ने सौ करोड़ देने का एलान किया और पचास करोड़ दान भी कर दिए साथ ही इनफोसिस फाउंडेशन की सुधा मूर्ति  ने कहा कि बचे हुए 50 करोड़ भारत की असपताल सेवाओं को सुधारने के लिए दिए जाएंगे। इसी के साथ, इस रकम में से कुछ हिस्सा देश भर के कोविड 19 मरीजों के अस्पताल का खर्च उठाने के लिए दिए जाएंगे। सुधा का कहना है कि मुश्किल समय में हम सरकार, एनजीओ, हेल्थकेयर इंस्टिट्यूशन के साथ इस महामारी से लड़ने के लिए काम करते रहेंगे।

नारी सशक्तीकरण की मिसाल हैं सुधा
सुधा मूर्ति एक हाउसवाइफ होने के साथ-साथ देश की सशक्त महिलाओं में भी शुमार हैं। वो एक अच्छी बिजनेस पार्टनर, मां और समाजसेवी महिला भी हैं। सुधा ने अपने पति नारायणमूर्ति और बच्चों की खातिर अपना करियर दांव पर लगा दिया था। नारायण मू्र्ति जब इनफोसिस को जमाने में लगे थे, तो सुधा ने उनके कंधे से कंधा मिलाकर हौसला दिया था। और कंपनी को को शुरू करने के लिए पैसा भी नारायण को दिया और घर को चलाने की जिम्मेदारी भी संभाली।
सुधा को कहा गया 'कैटल क्लास'
लंदन के हीथ्रो एयकपोर्ट पर सुधा मूर्ति को कैटल क्लास यानी भेड़ चराने वाली क्लास का कहा गया था। सुधा मूर्ति के बोर्डिंग पास से साफ हो गया था कि वो फर्स्ट क्लास में सफर करने वाली हैं। सुधा मूर्ति को समझ आ गया था कि उनके पहनावे के कारण उन्हें ये कहा जा रहा है। इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब में भी किया। सुधा मूर्ति सिर्फ सरल इंसान ही नहीं बल्कि बहुत टैलेंटेड इंजीनियर भी हैं। वो भारत के सबसे बड़े लोकोमोटिव ग्रुप टाटा इंजीनियरिंग लोकोमोटिव कम्पनी टेलको की पहली महिला इंजीनियर थीं। उन्होंने डेवलपमेंट इंजीनियर के पद पर पुने में काम शुरू किया था।

1996 में इनफोसिस फाउंडेशन की शुरुआत
सुधा मूर्ति ने 1996 में इनफोसिस फाउंडेशन की शुरुआत की थी। वो गेट्स फाउंडेशन से भी जुड़ी हैं और सालों से हेल्थकेयर के सेक्टर में समाज सेवा कर रही हैं।