भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुधा नारायणन को ट्रंप ने अपने हाथों से अमेरिका की नागरिकता प्रदान की और कहा कि आपने खुद को साबित किया है और आपका काम बेहतरीन है, इसलिए आपका अमेरिका में स्वागत है।
नई दिल्ली। एक समय जहां अमेरिका में वीजा मामले को लेकर भारतीयों पर संकट मंडरा रहा है, वहीं अमेरिका में कुछ भारतीय अपने काम और नाम से अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ देश का भी नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला हैं सुधा नारायणन। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने उन्हें अमेरिका की नागरिकता प्रदान की है। एक कार्यक्रम में सुधा को नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपते हुए ट्रंप ने सुधा की जमकर तारीफ भी की। सौंपा और उनकी तारीफ भी की।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं सुधा
सुधा सुंदरी नारायणन सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और अपने पति और दो बच्चों के साथ लंबे समय से अमेरिका में रह रही हैं। भारत में जन्मीं सुधा 13 साल पहले अमेरिका आईं थीं। ट्रंप ने सुधा को जब नागरिकता प्रदान की, तो उनके काम की तारीफ भी की और कहा कि वह भारत में जन्मीं एक अभूतपूर्व सफल शख्सियत हैं। आप प्रतिभाशाली सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं, आपका बहुत शुक्रिया और बधाई। शानदार काम।’’ट्रंप ने कहा कि आपने नियमों का पालन किया, आपने यहां का इतिहास सीखा, हमारे मूल्यों को अपनाया और खुद को सबसे ज्यादा ईमानदार साबित किया।
भारतीय वेशभूषा में मंच पर पहुंची सुधा
व्हाइट हाउस में जब सुधा के साथ चार अन्य लोगों को नागरिकता सौंपी जा रही थी, तो सुधा सबसे अलग दिख रहीं थीं। कारण था सुधा का अमेरिकी नागरिक बनने के बाद भी अपने देश की पहचान को सामने रखना और वहां की वेशभूषा को धारण करना। कार्यक्रम के दौरान सुधा सुंदरी नारायणन ने गुलाबी रंग की साड़ी पहने हुए थी। इसी दौरान ट्रंप ने उनकी अमेरिकी नागरिकता का प्रमाण-पत्र भी उन्हें सौंपा और कहा, आपने दुनिया की सबसे बेशकीमती संपत्ति अर्जित की है। यह अमेरिकी नागरिकता कहलाती है जिससे बड़ा कोई सम्मान या विशेषाधिकार नहीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.