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कुरान के मूल तत्व के खिलाफ है तीन तलाक : सुप्रीम कोर्ट

Published - Sat 22, Jun 2019

22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को किसी भी नजरिए से मान्यता नहीं दी जा सकती है।

नई दिल्ली। तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट भी अमान्य, अवैध और असंवैधानिक करार दे चुका है। 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को किसी भी नजरिए से मान्यता नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के मत से सुनाए गए फैसले में तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया।
तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जे एस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर जहां तीन तलाक की प्रथा पर छह माह के लिए रोक लगाकर सरकार को इस संबंध में नया कानून लेकर आने के लिए कहने के पक्ष में थे। वहीं, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस यू यू ललित ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कही थी ये बातें
- 5 जजों की कमेटी में शामिल तीन न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यू यू ललित ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया
- चीफ जस्टिस खेहर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने संवैधानिक कहा था।
- चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने तीन तलाक पर छह महीने के लिए रोक लगाने को कहा था।
- चीफ जस्टिस ने कहा था कि 6 महीने में संसद कानून बनाए।
- कोर्ट ने उम्मीद जताई थी कि केंद्र जो कानून बनाएगा उसमें मुस्लिम संगठनों और शरिया कानून संबंधी चिंताओं का ख्याल रखा जाएगा।
- कोर्ट ने कहा था कि यदि छह महीने में कानून नहीं बनाया जाता है तो तीन तलाक पर कोर्ट का आदेश जारी रहेगा।
- कोर्ट ने इस्लामिक देशों में तीन तलाक खत्म किये जाने का हवाला दिया और पूछा कि स्वतंत्र भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता।
- सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से अपने मतभेदों को दरकिनार रखने और तीन तलाक के संबंध में कानून बनाने में केन्द्र सरकार की मदद करने को कहा था।
- कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह तीन तलाक पर कानून बनाए।
- चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा था कि तलाक असंवैधानिक नहीं, यह संविधान के आर्टिकल 14, 15, 21 और 25 के खिलाफ नहीं।