मंगल ग्रह पर जीवन तलाशने के लिए नासा के पर्सेवेरेंस ने मंगल ग्रह की सतह पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। इस इतिहास को गढ़ने में भारतीय मूल की स्वाति मोहन की भूमिका भी बेहद खास है।
नई दिल्ली। मंगल ग्रह पर जीवन तलाशने के लिए लंबे समय से प्रयत्न किए जा रहे हैं। देश और दुनिया के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में जुटे हैं। 18 फरवरी 2021 को जब नासा के विमान पर्सेवेरेंस ने मंगल ग्रह की सतह पर कदम रखा तो वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। उनकी मेहनत कामयाब हो गई थी। इन्हीं में से एक नाम भारतीय मूल की स्वाति मोहन का भी है, जो इस खुशी से फूली नहीं समा रही थीं।पर्सेवेरेंस को मंगल की सतह पर उतारने में भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक स्वाति मोहन ने रोवर के नेविगेशन और कंट्रोल ऑपरेशन्स में अहम भूमिका निभाई है। वे बताती हैं कि नेविगेशन और कंट्रोल किसी भी मिशन या ऑपरेशन के लिए आंख और कान होता है। इसमें किसी भी तरह की चूक पूरे मिशन की दिशा बदल सकती है। हमारी शुरुआती मेहनत कामयाब हुई है अब आगे के नतीजों से तस्वीर साफ होगी।
बड़ा पद है स्वाति के पास
भारतवंशी स्वाति मोहन के पास नासा में अहम पद है। वह जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में काम करती हैं। ये मार्स पर्सिवरेंस रोवर मिशन की गाइडेंस नेविगेशन, एंड कंट्रोल ऑपरेशंस की प्रमुख हैं। नासा का रोवर कहां उतरेगा, उनकी गति कितनी होगी, दिशा और दशा क्या होगी, ऊंचाई कितनी रहेगी आदि की जिम्मेदारी स्वाति के पास ही थी। उन्होंने इसे सफलतापूर्वक निभाया और मिशन सफल रहा।
डॉक्टर बनना चाहती थीं स्वाति
स्वाति मोहन बचपन में डॉक्टर बनने का सपना देखती थीं। 16 साल की उम्र में उन्हें साइंसटिस्ट बनने का जूनून जागा। उन्होंने डॉक्टरी छोड़ इंजीनियरिंग में जाने का मन बनाया। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल एंड एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीएस किया। इसके बाद एमस और बीएचडी एमआईटी यहीं से की।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.