जापान की 91 वर्षीय ताकिशिमा दादी फिटनेस ट्रेनर बन गई हैं। उम्र के इस पड़ाव पर उनकी एक्सरसाइज देखकर हर कोई हैरान है।
नई दिल्ली। जिस उम्र में लोग बामुश्किल चल फिर पाते हैं, उस उम्र में जापान की 91 वर्षीय ताकिशिमा दादी फिटनेस ट्रेनर बन गई हैं। वह ऐसी-ऐसी एक्सरसाइज करती हैं कि लोग दांतों तेल अंगुली दबा लेते हैं। साल 2021 की जनवरी में ताकिशिमा ने जिंदगी के 91 साल पूरे किए हैं, लेकिन फिटनेस के मामले में वह नौजवानों को भी मात दे रही हैं। वह जापान की सबसे बुजुर्ग फिटनेस ट्रेनर हैं।
87 साल की उम्र में बनीं ट्रेनर
जो उम्र रिटायरमेंट की होती है, उसमें ताकिशिमा ने अपने लिए नया करियर चुना। उन्होंने हर तरह के व्यायाम से खुद को जोड़ा और 65 साल में वह खुद को काफी कुछ बदल चुकी थीं। घरेलू महिला होने की वजह से वो कभी जिम भी नहीं गई थीं। इसी बीच उनके वजन को लेकर किया गया उनके पति का एक कमेंट उन्हें फिटनेस के फील्ड में ले आया। 65 की उम्र में उन्होंने जिम जाना शुरू किया और 87 की उम्र तक वे खुद एक फिटनेस ट्रेनर बन गईं।
सोशल मीडिया पर हैं फेमस
ताकिशिमा सोशल मीडिया पर काफी फेमस हैं। उनके काफी संख्या में फॉलोअर्स हैं। उनके वर्कआउट को देखकर लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं।
महज चार घंटे सोती हैं
ताकिशिमा दादी ने वर्कआउट से बहुत जल्दी ही अपना 15 किलो वजन कम कर लिया, लेकिन, उन्होंने जिम जाना नहीं छोड़ा। वह लगातार खुद के लिए नए चैलेंज को सेट करती रहीं और उसे पूरा भी किया। इतना ही नहीं उन्होंने एरोबिक्स क्लास भी जाना शुरू कर दिया। काफी कम समय में वह लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गईं। इतना ही नहीं वह लोगों को ट्रेनिंग के साथ-साथ मोटिवेट भी करने लगीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ताकिशिमा महज चार घंटे की नींद लेती हैं। इस उम्र में भी वह हेल्थ को लेकर काफी सतर्क रहती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.