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10 महिलाएं, 100 कोरोना प्रभावित परिवार और फ्री खाना

Published - Sun 22, Nov 2020

दिल्ली की निशा चोपड़ा ने कोरोना पीड़ित परिवारों के लिए एक अभियान शुरू किया है। वह अपनी टीम के साथ मिलकर रोजाना सौ कोरोना पीड़ित परिवारों को फ्री खाना मुहैया करा रही हैं।

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच अगर किसी को पता चल जाए कि फलां को कोरोना है, तो उसके घर की ओर जाना तो दूर झांकना भी छोड़ दिया जाता है। कोरोना संक्रमण के चलते परिवार, रिश्तेदार, यार-दोस्त जब कोरोना संक्रमण के कारण दूर हो जाते हैं, तो कोरोना पीड़ित परिवारों के लिए दिल्ली की निशा चोपड़ा आगे आती हैं और पीड़ित परिवार को भोजन व जरूरी सामान उपलब्ध कराती हैं। उनकी टीम में दस महिलाएं हैं, जो कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे परिवारों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराती हैं।

मुश्किल हालात में बनी मसीहा
कोरोना के मुश्किल समय में जब अपने ही साथ छोड़ दे रहे हैं, तो निशा चोपड़ा पीड़ितों के लिए मसीहा बनकर सामने आई हैं। दिल्ली की रहने वाली निशा की टीम में दस महिलाएं हैं। ये महिलाएं कोविड-19 से प्रभावित परिवारों को खाना खिलाती हैं। निशा चोपड़ा ने ये अभियान यूं ही नहीं शुरू किया। जब उनपर गुजरी तो उन्हें पता चला कि पीड़ित परिवार के साथ क्या गुजरती होगी। दरअसल अप्रैल में उनके पति कोरोना संक्रमति हुए थे। उस दौरान पूरे परिवार को क्वारंटीन होना पड़ा। इस वजह से उनके बच्चे खाने के लिए परेशान हो गए और कोई मदद भी नहीं पहुंच पाई। अपनी और बच्चों की परेशानियों को देखते हुए निशा को अहसास हुआ कि पीड़ित परिवारों के साथ क्या गुजरती होगी। पति के सही हो जाने के बाद उन्होंने ये अनोखी पहल शुरू की। अकेले शुरुआत करने वाली निशा के साथ दस और महिलाएं जुड़ीं और शुरू हो गया संक्रमित परिवारों के लिए निशुल्क खाना बनाने और पहुंचाने का सिलसिला।

नहीं लिया जाता कोई पैसा
निशा और उनकी टीम द्वारा दस-दस परिवारों को खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी रहती है। मुश्किल समय में किसी परेशान व्यक्ति का पेट भर जाए, इससे बड़ा काम क्या हो सकता है, इसी बात को सोचकर निशा और उनकी टीम पीड़ितों को खाना पहुंचाती हैं। इसके लिए किसी भी परिवार से एक रुपये की राशि नहीं ली जाती। पीड़ित परिवार को भोजन निशुल्क दिया जाता है। निशा चोपड़ा की टीम इस काम में प्रमुखता वैसे परिवारों को देती है जिसमें बुजुर्ग और बच्चे हों।

टीम लेती है एक वचन
कोरोना संक्रमित परिवारों को भोजन कराने वाली निशा पीड़ित परिवारों से एक वचन लेती हैं कि ठीक होने के बाद वे भी इसी तरह कोरोना से जूझते किसी परिवार का जिम्मा उठाएंगे और लोगों को भोजन कराएंगे। इस लिहाज से परमार्थ के इस काम की एक लंबी चेन बन गई है, जिसमें कई परिवारों को भोजन मिल रहा है। उनकी टीम में जो महिलाएं जुड़ी हैं वो भी कोरोना संक्रमण का सामना कर चुकी हैं।