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सुलफत ने छत को बनाया कमाई का जरिया

Published - Fri 21, May 2021

केरल में एर्नाकुलम जिले के एक गांव की सुलफत घर की छत पर जैविक खेती करती हैं और उसी से आजीविका चलाती हैं। उन्हें इसके लिए 42 सम्मान से नवाजा जा चुका है।

नई दिल्ली। घर की छत सिर्फ छत ही नहीं होती, रोजगार का जरिया भी हो सकती है। केरल की सुलफत ने इस बात को साबित कर दिया। केरल के छोटे से जिले एर्नाकुलम के एडावनक्क) गांव की 46 वर्षीया सुलफत मोइद्दीन को उनके अनोखे कारोबार के लिए जाना जाता है। वो घर की छत पर खेती करती हैं। उनसे प्रेरणा लेकर कई लोगों ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया है। खासबात ये है कि सुलफत जैविक खेती करती हैं। उन्हें साल 2020 में केरल के ‘सर्वश्रेष्ठ टेरेस किसान’ केटेगरी में अवॉर्ड भी मिला है।
इंटर पास लेकिन सफल किसान
सुलफत इंटर पास हैं और पिछले 24 साल से जैविक खेती कर रही हैं। उनके पास एक एकड़ जमीन भी है, लेकिन उसके साथ-साथ उन्होंने अपनी दो हजार वर्ग फुट की छत को भी खेत में बदल दिया। वे सब्जियां अपने घर के इस्तेमाल के लिए नहीं उगातीं, बल्कि उन्हें बाजार में बेच देती हैं। यही उनकी आजीविका का साधन है।  उनकी छत पर 1000 ग्रो बैग और गमले हैं, जिनमें वह फल, मौसमी सब्जियां, सलाद, मसाले आदि की फसल लेती हैं। हर एक मौसम में वह अलग-अलग सब्जियां लगाती हैं जिनमें प्याज, अदरक, हल्दी, पुदीना, धनिया, मक्का, प्याज, सौंफ आदि शामिल हैं।
नहीं करती कोई रसायन इस्तेमाल
सुलफत खेती में किसी तरह का रसायन उपयोग नहीं करतीं। वे खेती में कोकोपीट, हरी खाद, गोबर, केंचुआ खाद और सरसों खली का इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा, कम मात्रा में पत्थर का चूरा या बोन मील पाउडर भी मिलाती हैं ताकि पौधों में कैल्शियम की कमी न हो। फल-सब्जियों को कीटों से बचाने के लिए वह ट्राइकोडर्मा, नीम का तेल और वर्टिसिलियम जैसी चीजें उपयोग में लेती हैं। पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए वह ड्रिप इरीगेशन सिस्टम और ‘विक सिस्टम’ का इस्तेमाल करती हैं।
स्टॉल लगाकर बेचती हैं सब्जी
वो जो फसल उगाती हैं, उसे स्थानीय दुकानदार या कृषि भवन में स्टॉल लगाकर बेचती हैं। आसपास के लोग भी उनसे सब्जी खरीदने आते हैं। इस उपज से वो महीने में बीस हजार तक कमा लेती हैं। वे लोगों को शुद्ध व जैविक खाने के प्रति प्रेरित भी करती हैं। साथ ही लोगों टैरेज पर खेती करने के लिए प्रेरित भी करती हैं। वे कहती हैं कि खेती उनका शौक है। वे अपना एक यू ट्यूब चैनल ‘सुलफतस ग्रीन डायरी‘ भी चलाती हैं व लोगों को खेत की ऑनलाइन ट्रैनिंग भी देती हैं। बहुत से लोग उनके घर टेरेस फार्मिंग देखने भी आते हैं। उनके प्रयास को स्थानीय स्तर पर सम्मान भी मिला है। उन्हें अब तक 42 पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।