Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

एक सोच ने बदल डाली समाज की तस्वीर

Published - Mon 23, Sep 2019

श्रावस्ती के तराई क्षेत्र में रहने वाले थारू समाज में साक्षरता दर बेहद कम हैं। पारिवारिक बंधनों और रीति-रिवाजों में बंधी यहां की महिलाएं बेहद पिछड़ी हुई हैं। लेकिन एक छोटे से प्रयास से यहां की महिलाओं के जीवन में एक ऐसा परिवर्तन आया कि महिलाएं अब खुलकर जीना सीख गई हैं। इस समाज की महिलाओं ने अब पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया है।

Tharu Samaj

श्रावस्ती। थारू समाज अति पिछड़ा और आधुनिकता से दूर माना जाता है। इस समाज में शिक्षा और रोजगार की स्थिति भी ठीक नहीं है, लेकिन श्रावस्ती की थारू समाज की महिलाओं ने अपने समाज को न केवल बदला, बल्कि इस समाज के साथ अन्य महिलाओं के लिए नजीर बन गईं हैं।
श्रावस्ती के तराई क्षेत्र में रहने वाले थारू समाज में साक्षरता दर बेहद कम हैं। पारिवारिक बंधनों और रीति-रिवाजों में बंधी यहां की महिलाएं बेहद पिछड़ी हुई हैं। लेकिन एक छोटे से प्रयास से यहां की महिलाओं के जीवन में एक ऐसा परिवर्तन आया कि महिलाएं अब खुलकर जीना सीख गई हैं। इस समाज की महिलाओं ने अब पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया है। अब वह हिसाब लगा सकती हैं, कौन सी किसान योजनाएं चल रही हैं वो जानती हैं। अधिकारियों से बात करती हैं और अपने लिए खुद फैसले लेती हैं। यहां सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से चल रहे महिला एवं किशोरी साक्षरता केंद्रों की मदद से महिलाओं को शिक्षित किया जा रहा है। यहां करीब 155 साक्षरता केंद्र हैं। हर केंद्र पर 30 महिलाओं का एक समूह बनाया जाता है और उन्हें शिक्षित किया जाता है। थारू समाज की महिलाओं का शिक्षित होना उनके लिए आजीविका का साधन भी बन रहा है। कई महिलाएं शिक्षा के बल पर पढ़ाई भी करने लगी हैं। इस समाज में महिलाओं का पढ़ना किसी अजूबे से कम नहीं हैं। पढ़ाई करने से जहां महिलाओं की सोच और व्यक्त्तिव में परिवर्तन आ रहा है, वहीं महिलाएं आज अपने हक के लिए लड़ना भी सीख चुकी हैं। सरकारी योजनाओं से लेकर अन्य लाभ के लिए वह शासन व अधिकारियों से सवाल करती हैं और अपना हक प्राप्त करती हैं।
यहां महिलाओं को साक्षरता का लाभ ये हुआ है कि वो अब किसानी में अच्छा कर रही हैं। योजनाओं से लेकर नई तकनीक, बीज, खाद आदि सबका पता होता है उनका और वह इसकी मदद से किसानी में भी सफलता की गाथा लिख रही हैं। कृषि विभाग में किसानों के लिए कौन सी नई योजना आई है, इस बात को जानने के लिए अब वो अधिकारियों से सवाल करने में झिझकती नहीं है। क्योंकि अब वो साक्षर हो चुकी है और अपने अधिकारों को समझने लगी है। छोटे बड़े गुणा-भाग, अक्षर मिला-मिलाकर पढ़ना, अपने बच्चों को घर पर बैठकर पढ़ाना, हस्ताक्षर करना, बैंक में रुपए जमा करने और निकालने का फॉर्म भी अब ये खुद भरती हैं।