बेटे की चाह थी पर बेटी हो गई, बाप ने नवजात का बेरहमी से कत्ल कर दफनाया और फरार हो गया। रक्षाबंधन से कुछ दिन पहले घटी इस घटना से आहत इस गांव की बेटियों ने नहीं मनाया रक्षाबंधन। हिमाचल के मंडी जनपद के नसलोह गांव के लोगों ने त्योहार न मनाकर दी मासूम को श्रद्धांजलि। दो मिनट का मौन रख कर दिया बेटी बचाओ का संदेश।
मंडी। हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपने परचम लहरा रही हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा भी बुलंद है, लेकिन आज के दौर में भी कुछ ऐसी जड़ मानसिकता वाले लोग हमारे बीच मौजूद हैं जो बेटियों को बोझ तो समझते ही हैं और साथ ही बेटियों से पीछा छुड़ाने के लिए उन्हें मौत के घाट उतारने में भी जरा नहीं हिचकिचाते। मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के नसलोह गांव में बेटा ना होने से गुस्साए बाप ने एक दिन की नवजात बेटी को मार डाला। यह घटना रक्षाबंधन के त्योहार से चार दिन पहले घटी। नवजात बेटी की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। वहीं, इस गांव के लोगों ने इस बार रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया। बेटी की मौत से आहत इस गांव की महिलाओं और ग्रामीणों ने एकजुट होकर श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा। यह संदेश देने का प्रयास किया कि अगर बेटियां ही नहीं रहेंगी तो फिर भविष्य में किससे राखी बंधवाओगे।
गांव की बेटियों रक्षा, दीपिका और लतेश ने कहा कि आधुनिक परिवेश में जहां केंद्र और राज्य सरकारें बेटियों को बचाने का प्रयास कर रही हैं, वहीं ऐसी घटनाएं मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। इन बेटियों ने कहा कि इस जघन्य अपराध से गांव का नाम बदनाम हुआ है, लेकिन हम सब गांव के लोग यह संदेश देना चाहते हैं कि एक व्यक्ति के बुरे काम का दोष सभी को नहीं दिया जा सकता। गांव के लोग बेटियों के प्रति पूरा आदर सम्मान रखते हैं।
पहले से ही एक बेटा और बेटी हैं
बता दें कि 29 और 30 जुलाई की रात को गांव की एक महिला ने घर पर बेटी को जन्म दिया। पति बेटे की चाह पाले हुए था। बेटा होने पर गुस्साए बाप ने एक दिन की नवजात का बेरहमी से कत्ल कर दिया। इस घटना को अंजाम देने वाला आरोपी बाप नवजात बच्ची को दफनाने के बाद फरार हो गया था, लेकिन अब आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है। पुलिस का कहना है कि आरोपी हरीश कुमार शारीरिक रूप से अक्षम है और इसका पहले से ही एक बेटा और बेटी हैं। आरोपी शख्स नशे का आदी है, वो आए दिन घर पर कलह करता था।
अपराजिता बनकर जागरूकता की अलख जगानी होगी
बच्ची की आत्मा के लिए प्रार्थना करने और उसे श्रद्धांजलि देने के बाद गांव की बच्चियों ने एक रैली भी निकाली। इंदिरा कुमारी और शिल्पा ने कहा कि वह इस घटना की कड़ी निंदा करती हैं। इस कलंक को धोने के लिए हमें बेटियों को बचाने व पढ़ाने का संकल्प लेना होगा, अपराजिता बनकर जागरूकता की अलख जगानी होगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.