साड़ी पहनकर क्रिकेट खेलतीं मिताली राज की एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। यह वीडियो मिताली ने खुद अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। वनडे टीम की कप्तान मिताली ने यह वीडियो खासतौर पर महिला दिवस के चलते शेयर किया है।
आपने लड़कियों को क्रिकेट खेलते तो खूब देखा होगा लेकिन क्या कभी साड़ी पहनकर क्रिकेट खेलते देखा है। आप में से अधिकतर लोगों का जवाब न में ही होगा। लेकिन साड़ी पहनकर क्रिकेट खेलतीं मिताली राज की एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। यह वीडियो मिताली ने खुद अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। वनडे टीम की कप्तान मिताली ने यह वीडियो खासतौर पर महिला दिवस के चलते शेयर किया है। इस वीडियो के माध्यम से वह एक खास संदेश भी दे रही हैं। मालूम हो कि हर साल 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मिताली ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा, ‘साड़ी बहुत कुछ कहती है आपसे भी अधिक। यह आपको कभी भी फिट होने के लिए नहीं कहती। चलिए इस महिला दिवस (इंटरनेशनल वुमेंस डे 2020) पर एक अनमोल चीज की शुरुआत करते हैं। इस महिला दिवस पर अपनी शर्तों पर जीना शुरू करते हैं।’ इस वीडियो के माध्यम से मिताली महिला सशक्तीकरण का संदेश दे रही हैं। साथ ही मिताली राज के इस वीडियो में हैप्पी वीमेन-डे की भी शुभकामना दी हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि साड़ी हमारी संस्कृति का हिंसा है। ऐसे में मिताली को साड़ी में क्रिकेट खेलता देख प्रशंसकों को खूब पसंद आ रहा है। वह उनकी खूब तारीफ भी कर रहे हैं। मिताल राज ने पिछले साल टी-20 से संन्यास ले लिया था और वह अभी वनडे टीम की कप्तान हैं।
साल 2020 में महिला दिवस थीम
इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का थीम #EachforEqual है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंगनी रंग महिलाओं के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। बैंगनी रंग न्याय और गरिमा का प्रतीक माना जाता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.