लॉकडउान के बीच भी मॉ बम्लेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं जिमी कांदा बेंचकर करोड़ों रुपये का व्यापार कर रही हैं। लॉकडाउन के चलते इसे बाजारों में बेचना संभव नहीं हुआ तो ऑनलाइन बेचने का फैसला किया। इसके लिए फोन पर बुकिंग शुरू कर दी और इस तरह एक फोन पर जिमी कांदा घर-घर पहुंचने लगा।
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है और सभी उद्योग धंधे बंद चल रहे हैं। लेकिन इस लॉकडउान के बीच भी मॉ बम्लेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं करोड़ों रुपये का व्यापार कर रही हैं। इस समूह की महिलाएं जिमी कांदा बेंच कर ये रुपये कमा रही हैं। छत्तीसगढ़ जिले की करीब 10 हाजर महिलाएं इस इस स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं जो जिमी कांदा की खेती करने का काम करती है। इस साल करीब सौ टन जिमी कांदा का उत्पादन हुआ। लॉकडाउन के चलते इसे बाजारों में बेचना संभव नहीं था। इसलिए समूह ने फैसला किया कि इसे ऑनलाइन बेचा जाएगा। इसके लिए फोन पर बुकिंग शुरू कर दी और इस तरह एक फोन पर जिमी कांदा घर-घर पहुंचने लगा। होम डिलीवरी के लिए स्व-सहायता समूह भी मदद कर रहा है।
इन महिलाओं ने मास्क भी बनाए
समूह से जुड़ी इन महिलाओं ने कोरोना से लड़ने के लिए मास्क भी बनाए। इन मास्क को न सिर्फ छत्तीसगढ़ में इस्तेमाल किया जा रहा है बल्कि दूसरे प्रदेशों में भेजा जा रहा है। इन लोगों ने तीन लाख मास्क बनाएं हैं। ये मास्क कम कीमत पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इन डबल कोडेट मास्क के ऑनलाइन ऑर्डर मुंबई से भी आ रहे हैं।
समूह ने किया प्रेरित
मां बम्लेश्वरी स्वयं सहायता समूह ने इन महिलाओं को शुरू में जिमी कांदा की खेती करने के लिए प्रेरित किया। उन्हें इससे जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध करवाई। फिर इस समूह से जुड़ी महिलाओं ने अपने दम पर इसका उत्पादन शुरू किया। जब इससे अच्छा लाभ मिलने लगा तो इसका उत्पादन बड़ी मात्रा में शूरू हो गया। इस साल जिले भर के लगभग 300 गावों में महिलाओं ने जिमी कांदा की खेती की। उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल करीब-करीब 3 से 4 करोड़ का व्यवसाय होगा। छत्तीसगढ़ में जिमी कांदा के उत्पादन की एक छोटी सी शुरुआत आज बड़े अभियान का रूप ले चुकी है। लाखों लोग इससे लाभ कमा रहे हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं
लॉकडाउन के बीच जब सब सभी काम-धंधे बंद हैं तब भी ये महिलाएं पैसे कमा कर आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपने परिवार को पाल रही हैं। इस महामारी के बीच भी उन्हें किसी से पैसे मांगने के लिए हाथ फैलाने के जरूरत नहीं है। वह अपने परिवार के लिए हम चीज खरीदने में सक्षम हैं। यह सब संभव हो पाया जिमी कांदा रोपण के महाअभियान से। इसकी शुरुआत इसीलिए की गई थी कि महिलाएं खुद काम करके पैसे कमा सकें और आत्मनिर्भर बने। लॉकडाउन के बीच इसकी सफलता ने महिलाओं को आत्मविश्वास से भर दिया है। अब इसकी खेती का दायदा बढ़ रहा है। इससे महिलाओं को और अधिक फायदा होगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.