Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

ये महिलाएं इस तरह लड़ रही हैं कोरोना से

Published - Sun 05, Apr 2020

छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाएं अपने क्षेत्र के लगभग 24 लाख लोगों को रेडी-टू-ईट फूड पैकेट मुहैया करा रही हैं। इस लड़ाई में महिला स्व-सहायता समूह भी पीछे नहीं है। महिला स्व-सहायता समूह सस्ते मास्क और सेनिटाइजर बना रही है।

mask

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में पैर पसार दिए हैं। बड़े-बड़े देश आज असहाय नजर आ रहे हैं। क्योंकि कोरोना का अभी तक कोई प्रमाणिक इलाज उपलब्ध नहीं है। दूसरे देशों की अपेक्षा हमारा देश अभी अच्छी स्थिति में है। 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान सभी लोग संयम के साथ मिल-जुल कर कोरोना से लड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इससे लड़ने के लिए जो जिस स्तर पर जो कर सकता है कर रहा है। कोई गरीबों को खाना खिला रहा है तो कोई दान कर रहा है ताकि सरकार को इस संकट से लड़ने में मदद मिल सके। इस महामारी से लड़ने में हमारे समाज की महिलाएं भी कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।

छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाएं अपने क्षेत्र के लगभग 24 लाख लोगों को रेडी-टू-ईट फूड पैकेट मुहैया करा रही हैं। इस लड़ाई में महिला स्व-सहायता समूह भी पीछे नहीं है। महिला स्व-सहायता समूह सस्ते मास्क और सेनिटाइजर बना रही हैं। आम जनता को ये मास्क 15 से 20 रुपये में दिए जा रहे हैं। जिन्हें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण विकास कार्यक्रम ‘बिहान’ के तहत स्थापित जिला केंद्रों में उपलब्ध कराया जा रह है।

पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ के 24 जिलों में 853 महिला स्व-सहायता समूहों से जुड़ी लगभग 2500 महिलाएं पूरी सुरक्षा के साथ मास्क और सैनिटाइजर बनाने का काम कर रही है। यह सभी महिलाएं 'बिहान' से जुड़ी है। जो राज्य सकरकार द्वारा संचालित एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम है। इन महिलाओं ने 2 अप्रैल, 2020 तक 5 लाख से अधिक मास्क का निर्माण किया। जिनमें से 4 लाख 20 हजार मास्क बेचे भी जा चुके हैं। इस समूह की महिलाओं ने लगभग 50 लाख 70 हजार रुपये के मास्क तैयार किए हैं। इसी तरह पांच जिलों में 13 महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने 600 लीटर से ज्यादा सैनिटाइजर तैयार किया है। जिसकी कीमत 3 लाख रुपये के आस-पास है। इन महिलाओं के द्वारा तैयार किए गए मास्क और सैनिटाइजर स्वास्थ्य विभाग तो ले ही रहा है, स्थानीय बाजारों में भी बेचा जा रहा है। बिहान स्व सहायता समूहों की सप्लाई खुले बाजार में अभी कुछ ही दवाई दुकानों तक सीमित है। खबरों के अनुसार, इन महिलाओं द्वारा तैयार किए गए 600 लीटर सेनिटाइजर में अब महज 21 लीटर ही स्टॉक में बचा है, वहीं मास्क की बात करें तो 50 हजार से भी कम मास्क बचे हैं।’