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कोरोनाकाल में दिव्यांगों की मदद कर रहीं टिफनी

Published - Fri 21, May 2021

कोरोना काल में दिव्यांगजनों का सहारा बनीं हैं टिफनी बरार। वह खुद एक दृष्टिबाधित सामाजिक कार्यकर्ता हैं और कोरोना काल में अपनी संस्था के जरिये दिव्यांगजनों की लगातार मदद कर रही हैं। वह इन लोगों को सकारात्मक सुझाव भी दे रही हैं।

tifni barar

नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों ने हर किसी को झकझोर करके रख दिया है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस मुश्किल समय में लोगों के साथ चट्टान बनकर साथ खड़े हैं। इसी में से एक हैं टिफनी बरार। वह खुद दिव्यांग हैं, फिर भी वह लगातार अपनी संस्था के जरिए दिव्यांग लोगों की मदद कर रही हैं।  टिफनी को उनके कामों के लिए सैकड़ों पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। साल 2017 में उन्हें देश के राष्ट्रपति के हाथों ‘बेस्ट रोल मॉडल’ के नेशनल अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। टिफनी ने दिव्यांगजनों की मदद के उद्देश्य से साल 2015 में ज्योतिर्गमय फाउंडेशन की स्थापना की थी। यह संस्था मूल रूप से दिव्यांगों को मोबाइल फोन, कंप्यूटर और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना सिखाती है।

सकारात्मक सुझाव भी देती हैं

कोरोना महामारी ने जब देश में अपने पैर पसारे तो टिफरी की संस्था ने दिव्यांगों को मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए परामर्श देना भी शुरू किया। वह इन लोगों को हमेशा सकारात्मक रहने के सुझाव देती हैं।  टिफनी की मानें तो कोरोना हो या न हो, लेकिन हर स्थिति में ही दिव्यांगों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, उन्हें हर समय मदद की आवश्यकता होती है।

खुद भी हो गई थीं संक्रमित, पर हौसला रखा

टिफनी इसी साल अप्रैल में खुद भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गई थीं। इस दौरान उनके परिवार ने उनका पूरा ख्याल रखा, जिसके कारण से आसानी से रिकवर कर गईं। टिफनी का मानना है कि ऐसे बेहद चुनौतीपूर्ण समय में हर कोई उनकी तरह भाग्यशाली नहीं होता। टिफनी कहती हैं कि कोरोना काल में कोई एक दूसरे को छूना नहीं चाहता है लेकिन दृष्टिबाधित लोगों की मदद अधिकतर छूकर ही करनी पड़ती है, ऐसे में लोग उनकी मदद करने में झिझकते हैं। वह कहती हैं कि अगर किसी दिव्यांग को संक्रमण हो जाता है तो उसे किसी अन्य सुरक्षित स्थान/घरों पर ले जाना चाहिए, जहां ऐसे लोगों को इलाज के साथ ही उनकी देखभाल में भी मदद मिल सके। साथ ही सरकार को आर्थिक मदद भी करनी चाहिए।

दिव्यांगों को मिलनी चाहिए सहूलियतें 

टिफनी बरार की मानें तो अस्पतालों में दिव्यांगजनों और खासकर दृष्टिबाधित लोगों के  लिए कुछ लोग या वालंटियर होने चाहिए जो उनकी रजिस्ट्रेशन आदि में मदद कर सकें। उनका मानना है कि सरकारी ऐप्स जैसे आरोग्य सेतु और उमंग आदि को दृष्टिबाधित लोगों के इस्तेमाल के अनुकूल बनाया जाए।  ताकि दिव्यांग भी इस सरकारी ऐप्स के जरिये खुद को वैक्सीन लगवाने के लिए आसानी से रजिस्टर कर सकें और साथ ही अपने वैक्सीनेशन को ट्रैक भी कर सकें।