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तीन तलाक पर संसद में जमकर घमासान

Published - Fri 21, Jun 2019

तीन तलाक बिल को लेकर संसद में शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस हुई।

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तीन तलाक पर संसद में जमकर घमासान

नई दिल्ली। तीन तलाक बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रहा गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसको लेकर संसद में शुक्रवार को भी जमकर घमासान हुआ।  बिल को पेश करने को लेकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस हुई। कानून मंत्री प्रसाद ने सदन में बिल को पेश करते हुए कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के सम्मान और उनकी गरिमा की रक्षा के लिए है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस तीन तलाक बिल को असंवैधानिक और भेदभाव वाला बताकर विरोध किया। इस दौरान स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों को आपस में बातचीत को लेकर कई बार टोका। उन्होंने सदस्यों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की। उन्होंने थोड़ा सख्त लहजे में यह तक कहा कि जिन्हें आपस में बात करनी है वे गैलरी में चले जाएं।
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में तीन तलाक से संबंधित विवादास्पद विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा में अपने पहले विधेयक के रूप में पेश किया। विपक्ष के भारी विरोध के बीच सदन ने विधेयक को 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश करने की अनुमति दी।

सदन में किसने क्या कहा
- रविशंकर प्रसाद : केंद्रीय कानून मंत्री ने तीन तलाक विधेयक को लेकर विपक्ष के कुछ सदस्यों की आपत्ति को दरकिनार करते हुए संविधान के मूलभूत अधिकारों का हवाला दिया जिसमें महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध है। विपक्षी सदस्य इसे एक समुदाय पर केंद्रित और संविधान का उल्लंघन करने वाला बता रहे हैं। मंत्री ने कहा कि जनता ने हमें कानून बनाने भेजा है। कानून पर बहस और व्याख्या का काम अदालत में होता है। संसद को अदालत नहीं बनने देना चाहिए। रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय का सवाल है , धर्म का नहीं। प्रसाद ने सवाल किया कि जब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के चलन से पीड़ित हैं तो क्या संसद को इस पर विचार नहीं करना चाहिए? उन्होंने कहा कि 2017 से तीन तलाक के 543 मामले विभिन्न स्रोतों से सामने आये हैं जिनमें 229 से अधिक उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद आये। इसलिए कानून बनाना जरूरी है। प्रसाद ने कहा कि हमें लगता था कि चुनाव के बाद विपक्ष इस विधेयक की जरूरत को समझेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

- कांग्रेस सांसद शशि थरूर : तिरुवनंतपुरम् से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का यह कहकर विरोध किया कि यह समुदाय के आधार पर भेदभाव करता है। थरूर ने कहा, 'मैं तीन तलाक का विरोध नहीं करता, लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं। तीन तलाक को आपराधिक बनाने का विरोध करता हूं। मुस्लिम समुदाय ही क्यों, किसी भी समुदाय की महिला को यदि पति छोड़ता है तो उसे आपराधिक क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम पतियों को सजा के दायरे में लाना गलत है। यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है।'

- असदुद्दीन ओवैसी : एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन बताते हुए सरकार से सभी समुदायों के लिए समान कानून बनाने की जरूरत बताई। ओवैसी समेत कुछ सदस्यों ने विधेयक पेश किये जाने से पहले मत-विभाजन की मांग की। इसमें विधेयक के पक्ष में 186 और विरोध में 74 मत मिले।  

लोकसभा में पेपर स्लिप से वोटिंग
स्पीकर ओम बिड़ला ने बिल पेश करने को लेकर विपक्ष की आपत्ति पर पेपर स्लिप से वोटिंग कराई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अभी नए सांसदों को डिविजन नंबर आवंटित नहीं हुआ है, इसलिए वे मत विभाजन के लिए वोटिंग मशीन का इस्तेमाल नहीं कर पाए।