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गांधी की खादी को लौटाकर लाने की कोशिश में उमंग

Published - Wed 05, Aug 2020

मध्यप्रदेश की उमंग श्रीधर ने महज तीस हजार रुपये अपना खादी उद्योग शुरू किया और आज वो मध्यप्रदेश में सैंकड़ों महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। खादी के दम पर वो अपनी जगह फोर्ब्स अंडर 30 में अपनी जगह बना चुकी हैं।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के इंदौर का एक छोटा सा गांव है किशनगंज। ये गांव किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इस गांव को पहचान दिलाने वाली और कोई नहीं गांव की बेटी उमंग श्रीधर हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने करने के बाद उमंग ने गांव की ओर रुख किया और मध्य प्रदेश के जावरा में गांधी सेवा आश्रम में खादी को लेकर काम शुरू किया। उमंग ने अपना स्टार्टअप खाडिजी शुरू किया। इस स्टार्टअप में डिजिटल प्रिंट वाले खादी परिधानों को बनाया जाता है। शुरुआत में कुछ दिक्कत आई, लेकिन धीरे-धीरे उनका उद्योग चल निकला और गांव के कुटीर उद्योग को उमंग ने वैश्विक बाजार तक पहुंचा दिया। उमंग ने चंबल-नर्मदा किनारे बसे पिछड़े गांवों की सैकड़ों महिलाओं के हाथ में चरखा थमाकर उन्हें स्वावलंबी बना दिया। 27 वर्षीय उमंग श्रीधर आज सैंकड़ों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।

बिजनेस में सारी जिम्मेदारी महिलाओं को
उमंग के स्टार्टअप खाडिजी में डिजिटल प्रिंट वाले खादी परिधानों को बनाया जाता है। उनकी टीम में ज्यादातर महिलाएं हैं। परिधानों की कताई, बुनाई,  फिनिशिंग,डिजाइनिंग, बिजनेस, प्रोडक्शन और मार्केटिंग तक, सभी जिम्मेदारियां महिलाओं के पास ही हैं। उमंग ने खादी को इसलिए चुना क्योंकि उनको लगता है कि बदलते समय में खादी लुप्त होती जा रही है। लेकिन शोध के दौरान उन्होंने पाया कि खादी कभी खत्म नहीं होगी और इसी को सोचकर उन्होंने खादी को समय और फैशन के अनुसार ढालकर परिधानों को बनाया शुरू किया। आज उनके खादी डिजिटल के महाराष्ट्र, बंगाल में भी ईकाईयां हैं। उनकी योजना इस साल के अंत मे मध्य प्रदेश में दस नये सेंटर स्थापित करने की है।
गांव की अर्थव्यवस्था को बनाया मजबूत
डीयू से स्नातक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी से पढ़ाई करने वाली उमंग ने नित नये प्रयोगों से जहां गांव के लोगों को रोजगार दिया, वहीं गांव कीअर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया। जहां गांव की महिलाएं पहले शून्य से दो हजार रुपये महीना तक ही कमाती थीं, आज वो पंद्रह से बीस हजार महीना आराम से कमा लेती हैं।
फोर्ब्स की सूची में शामिल
बिजनेस के क्षेत्र में तेजी से तरक्की करने वाली उमंग को प्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका फोर्ब्स की अंडर-30 एचीवर्स की सूची शामिल कर उनका सम्मान किया है। तीस हजार रुपये से अपना बिजनेस शुरू करने वाली उमंग का सालाना टर्नओवर साठ लाख रुपये तक पहुंच गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और आदित्य बिड़ला ग्रुप जैसे बड़े संस्थान भी उनके क्लाइंट हैं। उनकी संस्था चरखे के डिजिटल फॉर्म में खादी बनाने का काम करती है। उमंग इसका श्रेय अपनी मां वंदना श्रीधर को देती हैं, जिन्होंने उन्हें हौसला दिया। उमंग के खादी बिज़नेस से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बुनकरों को रोज़गार मिल रहा है।

लॉकडाउन में बनाए मॉस्क और फ्री बांटे
कोरोना के कारण जब पूरे देश में लॉकडाउन लगाया था, तो उमंग की संस्था ने दो लाख से ज्यादा मॉस्क बनाए और भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में उनका निशुल्कवितरण किया।