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ऊषा की रेड बिग्रेड बेटियों को सिखा रही है आत्मरक्षा

Published - Thu 15, Oct 2020

लखनऊ की ऊषा ने लड़कियों को सेल्फ डिफेंस सिखाने के लिए एक रेड बिग्रेड बनाई है, जो बेटियों को सुरक्षा के दांव-पेंच सिखा रही है।

लखनऊ। देश में लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेजी से उछाल आया है। बात चाहें निर्भया कांड की हो या हाथरस कांड या बलरामपुर कांड की। ये उदाहरण मात्र है कि बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। अक्सर देखा जाता है कि घर, बाजार, स्कूल, कॉलेज में बेटियों को टारगेट किया जाता है। छेड़खानी से लेकर यौन शोषण और हत्या तक कर दी जाती है। बेटियों को ऐसी ही परेशानियों से बचाने के लिए लखनऊ की ऊषा ने एक रेड बिग्रेड तैयार की है, जो बेटियों को अपनी सुरक्षा खुद करना सिखा रही है।

ऐसे आया विचार
ऊषा विश्वकर्मा समाजिक कार्यों से जुड़ी हैं। बात 2010 की है। ऊषा झुग्गी के बच्चों को पढ़ाती थीं। इस दौरान उनके साथ एक घटना घटी साथ काम करने वाले एक सहयोगी ने उनके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया।  इससे उबरने में ऊषा को पूरे दो साल लग गए। इसके बाद ऊषा ने निर्णय किया कि सभी संभावित रेपिस्ट, मोलेस्टर को सबक सिखाएंगी। तब उन्होंने जानकार लड़कियों के साथ मिलकर रेड बिग्रेड आर्मी तैयार की, जिसमें पंद्रह लड़कियां हैं। ये सभी लड़कियां ऊषा की तरह सेक्शुअल हैरेसमेंट सर्वाइवर थीं। इस ग्रुप में अब सौ लड़कियां हैं, जो स्कूलों में जाकर लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दे रही हैं।

ऊषा का मिशन किसी को न डरना पड़े
रेड ब्रिगेड बनाने वाली ऊषा का सपना है कि समाज में लड़कियां बिना डरे जी सकें और आजादी से रह सकें। उनकी रक्षा-सुरक्षा खुद उनके हाथों में हो और किसी भी मुश्किल वक्त में वो अपनी सुरक्षा खुद करने में सक्षम हों। अब तक देश में 1.57 लाख लड़कियों ट्रेनिंग दी। रेड बिग्रेड संस्था पूरी तरह डोनेशन पर चल रही है। कमी होती है, तो संस्था अपनी जेब से पैसा लगाती है। रेड बिग्रेड अब तक देशभर में करीब 1.57 लाख लड़कियों कोआत्मरक्षा की ट्रेनिंग दे चुकी है। रेड बिग्रेड नाम के पीछे की कहानी भी रोचक है। एक बार ऊषा एक लड़के ने उनपर टिप्पणी करते हुए कहा कि देखो पावरफल रेड ब्रिगेड जा रही है। बस यही से नाम दिमाग में ​क्ल्कि कर गया और शुरू हो गई रेड बिग्रेड। इस ग्रुप में शामिल लड़कियों ने आत्मरक्षा के बीस से अधिक तरीक ईजाद किए हैं। संस्था लड़कियों को संभावित खतरों से अवगत कराने के लिए जागरुकता अभियान भी चलाती हैं और कानूनी लड़ाई में मदद भी करती हैं।