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पौलेंड की वो लड़की जिसने उतराखंड में रहकर दुनिया को बताई पहाड़ों की ताकत

Published - Fri 03, Jul 2020

उत्तराखंड का एक ऐसा प्रदेश है, जो सुविधाओं से दूर रहकर भी जीने के तरीके ढूढ़ लेता है और रोजाना जीने के नये तरीके खोजता है। उत्तराखंड की इसी खाशियत से पौलेंड की तग्मारा उत्तराखंड खिंची चली आईं और अब उतराखंड की खास बातों को दुनिया को बता रही हैं।

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नई दिल्ली।  पौलेंड की तग्मारा कल्चरल हैरिटेज प्रोटेक्शन विषय में ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन करने के बाद तग्मारा ने दुर्गम क्षेत्रों के आम जन-जीवन पर कुछ खोजने की ठानी और उनकी यही कोशिश उन्हें उतराखंड के दुर्गम जीवन की ओर खींच लाई।  तग्मारा उत्तराखंड के लालुरी गांव आई और यहीं रहने लगी। उनका मकसद आम जीवन की ऐसी चीजों को दुनिया के सामने लाना था, जो अभी तक छिपी हुई थीं। यहां आकर तग्मारा ने गांव के बड़े-बुर्जगों से यहां की वनस्पतियों और उनके लाभ के बारे में जाना और प्राकृतिक दवाएं कितना काम की हैं। यहां आकर उन्होंने ताकुली के बारे में जाना। ताकुल भेड़ की ऊन से कपड़े बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सीखा घरों को सजाने की कला
उतराखंड के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सुविधाएं न के बराबर ही होती हैं, ऐसे में यहां रहने वाले लोग अपने पांरपरिक तरीकों से अपने घर को सजाते हैं। पौलेंड की तग्मारा ने यहां आकर इस कला को भी जाना और सीखा भी। यहां परंपरागत नृत्य और गीत संगीत को भी उन्होंने जाना और सीखा। पहाड़ों में रस्सी बनाने के लिए भ्यूंल की छाल का प्रयोग किया जाता है, तग्मारा ने वो भी सीखा। पहाड़ों के पारंपरिक पकवान, कला आदि को जानकर आज वो दुनिया को दिखा रही हैं कि पहाड़ों में क्या कुछ छिपा हुआ है।

पौलेंड जाकर दुनिया को दिखा रही हैं पहाड़ी जीवन
तग्मारा ने पहाड़ों में रहकर जो कुछ भी सीखा उसकी जानकारी दुनिया के सामने लाने के लिए वो वीडियो के माध्यम से दुनिया को बता रही हैं कि पहाड़ों में कितनी तरह की कलाएं छिपी हुई हैं। यूट्यूब, सोशल मीडिया का सहारा लेकर वो दुनिया को पहाड़ी खूबसूरती, कला, जीवन और कठिनाईयों से रूबरू करा रही हैं।