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एम.वीर लक्ष्मी की कोशिश रहती है कि वो समय मरीजों को पहुंचा दे अस्पताल

Published - Thu 08, Oct 2020

तमिलनाडु की एम.वीर लक्ष्मी देशी की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर हैं। वो अपने काम के बखूबी अंजाम दे रही हैं।

veer laxmi

नई दिल्ली। मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस में आमतौर पर आपने पुरुषों को ही काम करते देखा होगा। बेहद कठिन नौकरी, रोजाना, लोगों को मरते देखना, सड़क से घायलों को उठाना आदि काम देखकर लोग इस काम को करने से बचते हैं, लेकिन तमिलनाडू की एम. विजयलक्ष्मी ने इस पेश को चुना और उन्हें अपने काम से कोई दिक्कत नहीं है।
हिम्मत और लगन से पायी जगह
वीर लक्ष्मी ने इस काम को करने से लिए समाज, परिवार और तमाम तरह की परेशानियों और बंधनों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ने की हिम्मत दिखाई। वो देश की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर बनी हैं। तमिलनाडू सरकार ने जब इमरजेंसी सेवा के तौर पर राज्यभर में 118 एंबुलेंसों को शुरू करने की मंजूरी दी थी, तभी वीर लक्ष्मी ने इसके लिए आवेदन किया था और नियुक्त भी हुईं। राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने आपातकाल के लिए इस एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की है।

कम उम्र में बड़ा काम
 एम वीरलक्ष्मी देश की ऐसी पहली महिला है जिन्हें ये काम मिला है। वो 30 साल की हैं और वो 2 बच्चों की मां भी हैं। विजयलक्ष्मी पहले कैब चलाती थीं, लेकिन कैब चलाने की नौकरी छोड़कर उन्होंने मरीजों की सेवा करने को चुना। सरकार ने जब भर्ती निकाली, तो उन्होंने आवेदन किया और चुनी भी गईं। विजयलक्ष्मी का कहना है कि उन्हें मरीजों की सेवा करने का सौभाग्य मिला है, तो वह इस काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करती हैं। उनकी कोशिश रहती है कि कोई भी मरीज देरी की वजह से दम न तोड़े और वह उसे समय पर अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचा लें।