तमिलनाडु की एम.वीर लक्ष्मी देशी की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर हैं। वो अपने काम के बखूबी अंजाम दे रही हैं।
नई दिल्ली। मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस में आमतौर पर आपने पुरुषों को ही काम करते देखा होगा। बेहद कठिन नौकरी, रोजाना, लोगों को मरते देखना, सड़क से घायलों को उठाना आदि काम देखकर लोग इस काम को करने से बचते हैं, लेकिन तमिलनाडू की एम. विजयलक्ष्मी ने इस पेश को चुना और उन्हें अपने काम से कोई दिक्कत नहीं है।
हिम्मत और लगन से पायी जगह
वीर लक्ष्मी ने इस काम को करने से लिए समाज, परिवार और तमाम तरह की परेशानियों और बंधनों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ने की हिम्मत दिखाई। वो देश की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर बनी हैं। तमिलनाडू सरकार ने जब इमरजेंसी सेवा के तौर पर राज्यभर में 118 एंबुलेंसों को शुरू करने की मंजूरी दी थी, तभी वीर लक्ष्मी ने इसके लिए आवेदन किया था और नियुक्त भी हुईं। राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने आपातकाल के लिए इस एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की है।
कम उम्र में बड़ा काम
एम वीरलक्ष्मी देश की ऐसी पहली महिला है जिन्हें ये काम मिला है। वो 30 साल की हैं और वो 2 बच्चों की मां भी हैं। विजयलक्ष्मी पहले कैब चलाती थीं, लेकिन कैब चलाने की नौकरी छोड़कर उन्होंने मरीजों की सेवा करने को चुना। सरकार ने जब भर्ती निकाली, तो उन्होंने आवेदन किया और चुनी भी गईं। विजयलक्ष्मी का कहना है कि उन्हें मरीजों की सेवा करने का सौभाग्य मिला है, तो वह इस काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करती हैं। उनकी कोशिश रहती है कि कोई भी मरीज देरी की वजह से दम न तोड़े और वह उसे समय पर अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचा लें।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.