जयपुर। जयपुर में एक छोटा-सा साफ सुथरा रेलवे स्टेशन है गांधीनगर। वैसे तो यह स्टेशन बाकी स्टेशनों जैसा ही है, लेकिन एक खूबी की वजह से इसने दुनिया में नायाब पहचान बनाई है। दरअसल, गांधीनगर मुख्य लाइन का पहला स्टेशन है, जिसे दिन-रात केवल महिलाएं संचालित कर रही हैं। हाल ही में संयुक्तराष्ट्र ने महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में इसे मील का पत्थर बताया है।
दुनिया में नायाब पहचान बनाई है। दरअसल, गांधीनगर मुख्य लाइन का पहला स्टेशन है, जिसे दिन-रात केवल महिलाएं संचालित कर
रही हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में इसे मील का पत्थर बताया है।
जयपुर-दिल्ली लाइन पर स्थित इस स्टेशन से दिनभर ढेरों ट्रेनें गुजरती हैं। हरी झंडी दिखाती गार्ड से लेकर टिकट चेकर और सफाईकर्मियों के रूप में महिलाओं को देखकर यात्री हैरान होते हैं तो खुश भी। टिकट खिड़कियों पर भी रेलवे की सफेद पोशाक पर गहरे नीले रंग का कोट पहने महिलाएं पूरी मुस्तैदी से अपना काम करते दिखाई देती हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अपने टिवटर हैंडल पर वीडियो के साथ इस स्टेशन के बारे में विस्तार से लिखा है। यूएन ने लिखा है कि गांधीनगर स्टेशन पर 40 से ज्यादा महिला कर्मचारी हैं, जो पुरुषों से अधिक कारगर ढंग से जिम्मेदारियां निभाती हैं।
यूएन के अधिकारिक टि्वटर हैंडल पर जारी वीडियो
This railway station in #India 🚉 is run entirely by women! Over 40 women are employed at #Jaipur's #Gandhinagar station. Since they started work, the station is making more money and providing better service to customers! Watch how! #ThursdayMotivation
— United Nations India (@UNinIndia) May 16, 2019
Video via @wef pic.twitter.com/gC1t5b37nm
एक माह में बिना टिकट 520 लोगों को पकड़ा
महिला टिकट चेकरों की सख्ती से बिना टिकट यात्रा करने वालों की संख्या कम हुई है और कतारें छोटी हो गई हैं। महिला कर्मियों ने एक माह में 520 लोगों को बिना टिकट ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते पकड़ा, जबकि इसके पिछले बरस पुरुष समकक्षों ने इस तरह के केवल 64 लोगों को पकड़ा था। यही वजह है कि पिछले वर्ष फरवरी में यह स्टेशन रेलवे के महिला स्टाफ के हवाले करने के बाद से यहां की आमदनी बढ़ गई है।
रोज 50 से अधिक ट्रेनें, 7 हजार से ज्यादा यात्री भार
यूएन ने कहा है कि ऐसा देश, जहां रोजगार में महिलाओं की भागीदारी मात्र 27 प्रतिशत है वहां महिलाओं द्वारा पूरे रेलवे स्टेशन को संभालना मील का पत्थर है। इसमें सवाल किया गया है कि क्या अन्य देश भी इसका अनुसरण करेंगे। गांधीनगर स्टेशन से हर रोज 50 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं और सात हजार से ज्यादा यात्रियों की आवाजाही होती है।
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समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रयास
गांधीनगर रेलवे स्टेशन भारत का पहला गैर-उपनगरीय रेलवे स्टेशन है, जिसे दिन-रात पूरी तरह महिलाएं संचालित कर रही हैं। नियमित कामकाज के अलावा रेलवे सुरक्षा बल का दायित्व भी महिला कर्मियों पर है। यह महिला सशक्तीकरण और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में रेलवे का एक प्रयास है। - पीयूष गोयल, रेल मंत्री
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.