घर पर ही तैयार करती हैं बटन मशरूम, मार्केट में बिक्री के अलावा मिलते हैं आर्डर
करनाल। गांव में जहां अधिकतर आबादी खेती व पशुपालन पर निर्भर है, वहीं कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं जिन्होंने कृषि की बहुआयामी व्यवस्था को समझा और क्रियात्मक रूप दिया। नबीपुर गांव की महिला किसान सुनीता ने दो साल पहले चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र उचानी करनाल से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण हासिल किया। केंद्र की ओर से उसे प्रमाण पत्र प्रदान किया और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। पहले साल केंद्र ने उसे मशरूम उत्पादन के लिए कंपोस्ट बैग भी दिए। सुनीता ने घर में दो कमरों में मशरूम उत्पादन इकाई स्थापित की और बटन मशरूम का उत्पादन करने लगी। हर साल वह 300 बैग कंपोस्ट से मशरूम उत्पादन करती हैं। एक बैग से करीब चार किलो तक बटन मशरूम प्राप्त होती है। इस मशरूम की ना केवल स्थानीय स्तर पर गांव में अच्छी मांग है, बल्कि शहर की मार्केट में भी सप्लाई करती हैं। इसके अलावा शादी-विवाह व अन्य आयोजनों के समय लोग उनसे मशरूम के लिए संपर्क करते हैं और आर्डर देते हैं। सुनीता के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह इस बार कंपोस्ट बैग खुद तैयार करेंगी। उसका कहना है कि अक्तूबर व नवंबर में मशरूम लगाती हैं। कंपोस्ट के तैयार बैग लाते हैं और कमरों में उनकी सेटिंग करते हैं। अब कंपोस्ट खुद तैयार कर रहे हैं। 20 से 22 दिन में उत्पादन शुरू हो जाता है। काफी मेहनत करती हैं। उत्पादन इकाई में पानी, स्प्रे व तापमान नियंत्रण का पूरा ख्याल रखना होता है। मार्च के अंत तक उत्पादन मिलता है। उन्हें घर पर तैयार गुणवत्ता वाली मशरूम के अच्छे दाम मिलते हैं।
महिला समूह किया गठित, स्वावलंबन की बताई राह
सुहाना गांव में एक और महिला समूह गठित किया गया है। जिसका नाम कल्याण महिला स्वयं सहायता समूह रखा गया। आजीविका मिशन की ओर से आयोजित बैठक में समूह के गठन व गतिविधियों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। समूह में कुल 14 महिलाएं शामिल हैं। संचालन का मुख्य जिम्मा सोनिया व कविता को सौंपा गया है। आशा कार्यकर्ता जरासो देवी ने महिलाओं को समूह के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार बचत करके स्वरोजगार स्थापित कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। जब उनके पास आमदनी का जरिया होगा तो वह किसी की मोहताज नहीं होंगी। थोड़ी-थोड़ी बचत करके बैंक में डाल दें। खुद का रोजगार बनें तभी स्वावलंबी बनेंगे। समूह में शामिल हुई सभी सदस्य गरीब परिवारों से हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.