महिलाओं को बताए अधिकार
मऊ। अधिकारों की जानकारी होने पर महिलाएं हर लड़ाई जीत सकती हैं। जागरूकता से ही उनको कानूनी रूप से मिले अधिकारों के बारे में जानकारी मिलेगी। क्योंकि भारतीय संविधान में महिलाओं को न्याय दिलाने की प्राथमिकता दी गई है। बशर्ते महिलाएं समय रहते उसका उपयोग करें, लेकिन अधिकारों का दुरुपयोग भी नहीं होना चाहिए। अमर उजाला के अपराजिता अभियान के तहत 4 जनवरी को राजवती रेस्टोरेंट में महिलाओं के उत्थान में कानून का योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें महिला अधिवक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। महिला अधिवक्ता लाल मुनि यादव ने कहा कि समाज में फैली बुराई के लिए भी महिला ही जिम्मेदार है। बच्चे को पहला संस्कार उसकी मां से मिलता है। तेज तर्रार और बोल्ड महिला यदि मां होगी तो अपने बच्चों के परवरिश में भी वही संस्कार देगी। जो समाज को बदलने में सहायक होगा। महिला अधिवक्ता शहर बानो ने कहा कि आज वो अधिवक्ता बनी है तो परिवार का सहयोग और अपनी मर्जी शामिल रही। यदि हम सही और स्वावलंबी बनेंगे तो खुद ब खुद समाज और कानून महिलाओं का सहयोग करेगा। रश्मि अग्रवाल, किरन सिंह, निर्मला यादव, हुमा रिजवी, पूनम मौर्या ने कहा कि यदि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगी तो निश्चित तौर पर अच्छे बुरे में फर्क करके कानूनी लड़ाई लडऩे में सहूलियत मिलेगी। यह तभी संभव है जब वह शिक्षित हो तथा परिवार का सहयोग मिले। नूतन राय और किरन भारद्वाज ने कहा कि कानून महिलाओं के साथ है ऐसे में महिलाओं को अपराजित बनने की जरूरत है। (4-1-19)
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.