समाज में महिलाओं की स्थिति तभी बदलेगी जब वह आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगी। इसके लिए महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ स्वरोजगार पर भी ध्यान देना होगा।
गाजीपुर। समाज को सही दिशा देने में सक्रिय भूमिका निभाने का काम हमेशा से ‘अमर उजाला’ अखबार करता रहा है। महिलाओं को अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए समाज को दोष देने के बजाय बदलाव की शुरूआत अपने घर से करनी होगी। सबसे पहले हमें अपने सोच बदलनी होगी। घर में बेटी के जन्म पर उत्सव मनाना होगा। यही नहीं, अपराजिता के साथ स्वच्छता और नशा उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों में भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। ये बातें बुधवार को केंद्रीय विद्यालय में आयोजित अपराजिता के तहत आयोजित संगोष्ठी और आत्मरक्षा शिविर में विद्यालय के प्रधानाचार्य केश्वर प्रसाद ने कही।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं बेटियों को स्कूल भेजने में रुचि नहीं दिखा रही है। बेटी का जन्म होने पर वह खुद सबसे पहले दु:खी होती हैं। इस मानसिकता में बदलाव केवल कानून बनाने से नहीं हो सकता, बल्कि हम सभी को तय करना होगा कि बेटी के जन्म पर भी वैसा ही उत्सव मने जैसे बेटे के जन्म पर मनाया जाता है। शिक्षिका अनामिका ने कहा कि समाज में महिलाओं की स्थिति तभी बदलेगी जब वह आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगी। इसके लिए महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ स्वरोजगार पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने पर जोर दिया। कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में शराब पीने की बढ़ती प्रवृत्ति के चलते गरीब परिवारों की महिलाओं को तकलीफें झेलनी पड़ती हैं, लेकिन प्रशासन का सहयोग न मिलने से इस पर रोक नहीं लग पा रही है। ऐसे में महिलाओं को एकजुट होकर इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास करना होगा। इस दौरान छात्राओं को आत्मरक्षा केबारे में भी जानकारी दी गई। इस इस दौरान डेमो (प्रदर्शन) सुनील कुमार गुप्ता, नीतेश रावत, शिक्षक पुरुषोत्तम मिश्रा, जितेंद्र तिवारी, धनराज मित्तल, संतोष कुमार, बैजनाथ प्रसाद, नीरज राय, अवशेष प्रकाश, शिवप्रकाश, अनामिका, इंद्राराशन राम, हरेराम शर्मा, पूर्णिमा वर्मा, रामबचन राम, विवेक, आलोक कुमार, विजय, पुष्पा राय, अन्नपूर्णा तिवारी, नूरजहां, सीपी राम, कमला सिंह, जितेंद्र यादव तथा संचालन नीरज राय आदि रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.