100 मिलियन स्माईल्स मुहिम की कार्यशाला में बढ़ाया गया हौसला, विशेषज्ञों ने परीक्षा के दौरान मन को शांति बनाए रखने पर दिए टिप्स
बलरामपुर। सदर ब्लॉक के गुरुकुल एकादमी महेशभारी में शनिवार को 100 मिलियन स्माईल्स मुहिम के तहत बोर्ड परीक्षा मंत्र विषय पर कार्यशाला कराई गई। कार्यशाला में विशेषज्ञों की तरफ से बेटियों को परीक्षा संबंधी दिक्कतों को दूर कराने के लिए टिप्स दिए गए। परीक्षा मंत्र सीखकर बेटियों का साहस काफी बढ़ा। बेटियों को परीक्षा संबंधी डर व संकोच को दूर कराने के लिए कार्यशाला कराई गई। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बेटियों को शांत मन से परीक्षा के प्रश्न पत्रों को हल करने की सलाह दी।
मन से परीक्षा के डर को निकाले
बेटियों को परीक्षा का डर मन से निकालना होगा। बोर्ड व घरेलू परीक्षाएं सभी स्कूलों में शीघ्र ही होने वाली है। परीक्षा में साल भर की तैयारियों का लेखा जोखा किया जाता है। साल भर में कितना मेहनत करके पढ़ा है परीक्षा में इसी बात की पुष्टि की जाती है। परीक्षा कोई हौवा नहीं है। सभी बेटियां मन से परीक्षा के हौवा को निकाल करके बल्कि साधारण तरीके से परीक्षा की तैयारी करें और अपने प्रश्न पत्रों को हल करें। -उमेश मिश्र, शिक्षा विशेषज्ञ
बेटियों की सफलता से बदलेगा समाज
बेटियों की सफलता से ही समाज में बदलाव आएगा। समाज को बदलने और सफलता अर्जित करने के लिए बेटियों को कड़ी मेहनत करनी होगी। शिक्षित बेटियां ही समाज के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। बेटियों को शिक्षित करने में अभिभावकों को भी आगे आना होगा। समाज में काफी परिवर्तन दिख रहा है। यह परिवर्तन बेटियों के आगे बढ़ने से हुआ है। -एसपी मिश्रा, संस्थापक सचिव गुरुकुल एकादमी महेशभारी
बेटियों के सिर बंधेगा समाज के बदलाव का सेहरा
समाज के बदलाव का सेहरा बेटियों के सिर ही बंधेगा। समाज में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए बेटियों को कठिन परिश्रम करने की जरुरत है। परीक्षा के दौरान मन को एकाग्रचित कर प्रश्नों को हल करें। प्रश्न हल करते समय मन में अन्य कोई विचार न आने दें। मन भ्रमित होने से ही परीक्षा में लोग प्रश्नों का सही जवाब नहीं दे पाते है। मन स्थित रहने पर ही प्रश्नों के सही जवाब मिल सकेंगे। -शिखा मिश्रा, प्रबंधक गुरुकुल एकादमी महेशभारी
परीक्षा में ही मापा जाता है पढ़ाई का पैमाना
परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों के पढ़ाई का पैमाना मापा जाता है। हलांकि परीक्षा से यह कतई साबित नहीं होता है कि अधिक अंक प्राप्त करने वाला बच्चा ही समाज में आगे बढ़ेगा। परीक्षा के बेहतर अंक छात्रों के मन को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है। अच्छा अंक अर्जित करने के लिए परीक्षा की समायोजित ढंग से तैयारी करें। अच्छी तैयारी ही परीक्षा में अच्छे अंक दिलाएंगे। -गुरुदेव विश्वकर्मा, उप प्रधानाचार्य गुरुकुल एकादमी महेशभारी
सटीक लक्ष्य बनाकर करें तैयारी
परीक्षा के दौरान सटीक लक्ष्य बनाकर ही तैयारी करनी चाहिए। नियमित रुप से पढ़ाई करने वाले छात्रों को परीक्षा के समय बहुत कठिनाई नहीं होती है। जो छात्र साल भर नियमित पढ़ाई नहीं कर पाते है उन्हें ही परीक्षा में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। परीक्षा के दौरान भी लोग मेहनत करके अच्छे अंक हासिल कर सकते है लेकिन इससे भविष्य सुनहरा नहीं बनेगा। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए नियमित मेहनत करना जरुरी है। -दिव्या सिंह, शिक्षिका
शार्ट कट से सफलता पर न रखें विश्वास
परीक्षा में शार्ट कट से सफलता हासिल करने में विश्वास कतई न रखें। शार्ट कट से अर्जित की गई परीक्षा की सफलता से जीवन में अधिक लाभ नहीं मिलने वाला है। जीवन को सफल बनाने के लिए संयमित ढंग से परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। तभी बेहतर सफलता मिलने की उम्मीद रहती है। प्रतिदिन आठ घंटे तक पढ़ाई करनी चाहिए तभी परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए जा सकते है। -सुरभि त्रिपाठी, शिक्षिका
परीक्षा में खुद पर करें विश्वास
सभी परीक्षार्थियों को परीक्षा के दौरान खुद पर विश्वास रखना चाहिए। किसी के बताने पर प्रश्नों का उत्तर कदापि न लिखें। स्वयं से तैयार किए गए प्रश्नों के उत्तरों को ही हल करें। प्रश्न पत्र में जो प्रश्न अच्छ ढंग से आते हो सबसे पहले उन्हीं को हल करें। क्रम बनाकर प्रश्नों को हल करने से समय की बचत होगी और धीरे-धीरे सभी प्रश्नों के सही व सटीक ढंग से जवाब दे सकेंगे। -तनुजा गंगावानी, शिक्षिका
कार्यक्रम से मिली सीख को बेटियों ने सराहा
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.