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दरिंदे कब तक रहेंगे फंदे से दूर, कानून क्यों इतना मजबूर  

Published - Thu 13, Feb 2020

अमर उजाला- अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत आयोजित परिचर्चा में छात्राएं व शिक्षिकाएं बोलीं- इंसाफ मिलने में हो रही बहुत देरी

aparajita paricharcha

अलीगढ़। दरिंदे कब तक रहेंगे फंदे से दूर, कानून इतना क्यों हैं मजबूर। अदालत ने निर्भया के साथ दुष्कर्म करने और उसे मौत की नींद सुलाने वालों की फांसी की सजा तो तय कर दी, लेकिन उसे बचाने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगाया जा रहा है।  ये बाते मंगलवार को अमर उजाला के तालानगरी कार्यालय में छात्राओं ने अपराजिता के तहत आयोजित परिचर्चा में कहीं। छात्राओं और शिक्षिकाओं ने कहा कि आखिर ऐसी विकृत मानसिकता के लोगों से दिलचस्पी क्यों हैं, यह समझ से परे है। दरिंदों को बचाने के लिए तरह-तहर के तरीके अपनाए जा रहे हैं।
 निर्भया कांड पर आयोजित परिचर्चा में हिस्सा लेने आईं छात्राओं व शिक्षिकाओं ने कहा कि दुष्कर्मियों को सरेआम जला देना चाहिए, ताकि निर्भया को इंसाफ मिल जाए।

छात्राएं व शिक्षिकाएं बोलीं

  • निर्भया को दुनिया में रहते इंसाफ नहीं मिल सका है। इसलिए दुष्कर्मियों को सरेआम जिंदा जला देना चाहिए। - पुष्पांजलि जादौन, कुलदीप विहार कॉलोनी
  • दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाए। वरना ऐसे विकृत मानसिकता के लोगों को समाज में बढ़ावा मिलेगा। - उमा भारती शर्मा, कुलदीप विहार कॉलोनी
  • दुष्कर्मियों को फांसी के फंदे पर लटकाएं। बचपन से ही बालकों की मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। - रेशू वार्ष्णेय, सुरेंद्र नगर 
  • नाबालिग ने बालिग मानसिकता वाली हरकत की थी। अब वह बालिग हो गया, उसे पहले फांसी के फंदे पर लटकाएं। - नेहा सिंह, क्वार्सी
  • बचपन से ही बालकों में महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव जगाएं। दुष्कर्मियों को फांसी देने में अब समय न गंवाएं।  - रीता शर्मा, क्वार्सी
  • ऐसी हरकतें करने वाले मानसिक रोगी होते हैं, जिनका इलाज केवल मौत की सजा है। मौत से ही इंसाफ की लौ जलेगी। - मधुलिका, क्वार्सी
  • दुष्कर्मियों को फांसी के फंदे पर लटका दें। इन व्याभिचारियों को धरती पर रहने का अधिकार नहीं है। सजा जल्द मिले। - पूजा श्रीवास्तव, ब्रज विहार कॉलोनी
  • दूसरे देशों की तुलना में मेरा कानून मजबूर है, मजबूत नहीं है। दुष्कर्मियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटका देना चाहिए। - कृति शर्मा, पीएसी, रामघाट रोड  
  • दुष्कर्मियों को फांसी पहले ही हो जानी चाहिए थी। फांसी देकर समाज में एक उदाहरण बनाना होगा, जो भय व्याप्त करे। - प्राची मिश्रा, शिक्षिका 
  • लोगों की सोच सकारात्मक हो तो ऐसी घटनाएं न हों। निर्भया के दुष्कर्मियों को फांसी देने में अब देरी नहीं होनी चाहिए। - नीरज सिंह, शिक्षिका


जमाना खूब खराब है
यह सोच ही खराब है 
स्त्री स्वतंत्रता हनन का
अभी ये पहला चरण है
सभी की सोच बदलेगी
तभी जमाना भी बदलेगा 
वर्ना रोज किसी निर्भया का
नाम अखबारों में निकलेगा
-रीता शर्मा, छात्रा