अपराजिता सोशल फाइटर्स
बस एक सोच थी कि सोशल वर्क किया जाए। कोई राह तय नहीं थी, एक एनजीओ बना लिया 2004 में होली विजन इंटरनेशनल नाम से। बाद में पता चला कि एनजीओ बना लेना और समाज के लिए कुछ करना दो अलग-अलग चीजें हैं। इस बीच शिक्षा के बढ़ते व्यवसायीकरण को देखकर इच्छा हुई कि बच्चों की सस्ती पढ़ाई के लिए कुछ किया जाए। ...और फिर नींव पड़ी सेंट जेवियर्स स्कूल की। क्वालिटी एजुकेशन के लिए वर्ल्ड एजुकेशन समिट 2016 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षाविद् का अवॉर्ड मिला। यह कहना है यूथ फॉर ह्यूमन राइट्स इंडिया की नेशनल प्रेसीडेंट व शिक्षाविद् डॉ. अर्जुमंद जैदी का।
स्टूडेंट्स के जरिए सोच बदलने की कोशिश
डॉ. जैदी बताती हैं कि कोफी अन्नान के समय में यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट की शुरुआत हुई थी, जिसमें कॉरपोरेट और एनजीओ को साथ मिलकर आगे बढ़ना था। इसी के तहत हम संयुक्त राष्ट्र से जुड़े। मानवाधिकार और सतत विकास के लक्ष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र ने हमें जिम्मेदारी सौंपी है। देश भर में हम 8000 वॉलंटियर्स तैयार कर चुके हैं, जिन्हें 48 डायरेक्टर निर्देशित कर रहे हैं। 2017 से यूथ फॉर ह्यूमन राइट्स इंडिया केतहत हम देश भर के स्कूल-कॉलेज में स्टूडेंट्स से संवाद के जरिए संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत हैं।
जिंदगी का फलसफा : ‘कोशिशें सर्वश्रेष्ठ की कीजिए, बेहतर परिणाम जरूर हासिल होंगे।’
- डॉ. अर्जुमंद जैदी
नेशनल प्रेसीडेंट, यूथ फॉर ह्यूमन राइट्स इंडिया
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.