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जानिए लोगों की लाइलाज बीमारी के खिलाफ सपना कैसे लड़ रहीं जंग

Published - Tue 05, Mar 2019

अपराजिता सोशल फाइटर्स

aparajita social fighter sapna upadhyay lucknow

बात 2002 की है। बेटी अचानक बीमार पड़ी और लंबे समय तक बुखार ने उसे नहीं छोड़ा। हम उसे दिखाने केजीएमयू ले गए। वहां एक बीमार बच्चा था, जिसे पैसे की कमी के चलते लौटाया जा रहा था। हमने उसके इलाज का खर्च दिया। इसके बाद मेरी बेटी ठीक होने लगी, लगा उस बच्चे के माता-पिता की दुआ लग गई। तब हमने खुद से वादा किया कि किसी बच्चे को अब पैसे की कमी के चलते बिना इलाज नहीं लौटने देंगे। हमने सोचा कि यदि हमें इसे एक जन आंदोलन का रूप देना है तो लोगों को जोड़ना होगा और मदद भी लेनी होगी। इसी सोच के साथ 2005 में ईश्वर चाइल्ड वेलफेयर फाउंडेशन की स्थापना की।

कैंसर से लेकर एचआईवी पीड़ित तक
सपना बताती हैं, हम अकेले चले थे लेकिन आज 8000 से अधिक लोग हमसे जुड़ चुके हैं। कोशिशें रंग लाने लगीं तो सर्वाइवल रेट में भी बढ़ोतरी हुई। ऐसे में बच्चों के पुनर्वास और उनको मुख्यधारा से जोड़ने की चुनौती थी। हमने उनको पढ़ाने की व्यवस्था की, साथ ही उनके माता-पिता को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयास शुरू किए। इसके लिए कौशल विकास पर फोकस किया। साथ ही हम एचआईवी पेशेंट की मदद के लिए भी प्रयास शुरू कर चुके हैं। हमारा मानना है कि कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी पर लोग हाथ डालना नहीं चाहते और हम उन्हीं बीमारियों के खिलाफ आगे बढ़ रहे हैं।

‘लाइलाज बीमारी के खिलाफ किसी को तो खड़ा होना होगा, तो वो हम क्यों नहीं हो सकते।’
- सपना उपाध्याय
ईश्वर चाइल्ड वेलफेयर फाउंडेशन